भोगी से अणहारी तक, रागी से वितरागी तक, तप की करे सभी अनुमोदना , तपस्वी तो है जिनशासन का गेहना ।। अनुमोदना करते इस भव्य अवसर पर.. महोत्सव मनाये, आपके तप समापन पर । देव गुरु से करे प्रार्थना... बनी रहे क्रुपा आप पर ।। ~Praveen Varshitap #Varshitap #jainism