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इक, ​बरसती शाम पर, मन के, ​झरोखे से झाँकती वो, ​बै

इक,
​बरसती शाम पर,
मन के,
​झरोखे से झाँकती वो,
​बैठी थी,
​उलझी लटों को सँवारने,
​यादों की इक,
​टूटी दंदों वाली कंघी से,
​कि तभी,
​वक्त की आँधी चली,
उम्मीद की ​दहलीज पर टँगा,
​विश्वास का परदा,
​फटकर चीथड़े में लहराने लगा, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

#सोलह_आने_स्त्री

इक,
​बरसती शाम पर,
मन के,
​झरोखे से झाँकती वो,
इक,
​बरसती शाम पर,
मन के,
​झरोखे से झाँकती वो,
​बैठी थी,
​उलझी लटों को सँवारने,
​यादों की इक,
​टूटी दंदों वाली कंघी से,
​कि तभी,
​वक्त की आँधी चली,
उम्मीद की ​दहलीज पर टँगा,
​विश्वास का परदा,
​फटकर चीथड़े में लहराने लगा, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे

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इक,
​बरसती शाम पर,
मन के,
​झरोखे से झाँकती वो,
akalfaaz9449

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