कुण्ड़लिया :- हरियाली
डाली-डाली बैठते , देखो पक्षी आज ।
हरा-भरा यह देखकर , वन का सुखी समाज ।।
वन का सुखी समाज , मोर कोयल है गातें ।
देख रहे गजराज , हिरन सब दौड़ लगाते ।।
करे व्यक्त आभार , देख वन में हरियाली ।
मग्न हुए कपि राज , दौड़ते डाली-डाली ।। #कविता