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कितना सच है न ये..... कि, उम्मीदें कितना दु:ख देत

कितना सच है न ये..... 
कि, उम्मीदें कितना दु:ख देतीं हैं न,जब उम्मीद टूटती है न ,तो.... 
सब कुछ खो देने का एहसास होता है कि कितना कुछ समेटा था ना अपनी यादों में, कितना कुछ पा लेने की ख्वाहिश लेकर चले थे | लेकिन क्या पता था.... कि ये एक दिन टूट जाएगा | हाँ ये सच है, कि 
जिंदगी में कुछ भी स्थाई नहीं है... पर इसे मान लेना बहुत ही मुश्किल है | जितना दूर इस सच से हम होते जाते हैं.... उम्मीदें उतनी जल्दी टूटती जाती हैं और  वही टूटती उम्मीदें दुख देती हैं |

©Harpinder Kaur
  # क्या सच में उम्मीदें दु:ख देती हैं

# क्या सच में उम्मीदें दु:ख देती हैं #Poetry

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