कान्हा का जन्मोत्सव देखो फिर आया है, रिमझिम रिमझिम घनघोर घटा ये फिर ले आया है। कर लेना तमस को दूर, मन में जो पनप रहा है, उजियारा फैलाने का फिर से ये बहाना ले आया है। है दुर्योधन को मिटाना अपने हृदय के भीतर से, है कान्हा ने सदा ही ये पाठ पढ़ाया है। मैले मन को धो लेना तुम इस बारिश में, अब की बरस इस दुखियारे मन का अंधियारा मिटाना है। कृष्णा से ले लेना तृष्णा मिटाने का ज्ञान, छल है सब कुछ , एक चरण मात्र ही उसका मुक्ति का द्वारा है। "नज़र" में भर लो तुम मोहन की मूरत को, है ही क्या इस जीवन में मेरा? और क्या ही तुम्हारा है? ♥️ Challenge-676 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ आप सभी को कोरा काग़ज़ परिवार की ओर से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। भगवान श्रीकृष्ण आपकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण करें। ♥️ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।