काँच सी नाज़ुक रंग बिरंगी टूटती, बिखरती बिखर कर संवरती ढलती किसी भी रूप में ये ज़िन्दगी भी न चूड़ियों के मानिंद होती है..... #जिंदगी #चूड़ियाँ #yqdidi