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उस लाल पीले आफ़ताब को ज़रा रुक कर निहार ने दो , हो ग

उस लाल पीले आफ़ताब को ज़रा रुक कर निहार ने दो ,
हो गयी हो कितनी भी पुरानी वो नायाब किताब ज़रा रुक कर  निहार ने दो ,
हो चाहे वो चाँद , सूरज , ज़मीन,  आसमान या मेरी मेहबूबा
 दिया है प्रकृति ने जो उस ज़ालिम को ख़ूबसूरती का ख़िताब ज़रा रुक कर निहार ने दो

©Joy Mathur #shayrai #love❤ #Like #feedbackrequired #lineshayari 

@Joy Mathur

#RAMADAAN
उस लाल पीले आफ़ताब को ज़रा रुक कर निहार ने दो ,
हो गयी हो कितनी भी पुरानी वो नायाब किताब ज़रा रुक कर  निहार ने दो ,
हो चाहे वो चाँद , सूरज , ज़मीन,  आसमान या मेरी मेहबूबा
 दिया है प्रकृति ने जो उस ज़ालिम को ख़ूबसूरती का ख़िताब ज़रा रुक कर निहार ने दो

©Joy Mathur #shayrai #love❤ #Like #feedbackrequired #lineshayari 

@Joy Mathur

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