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सिगरेट की तलब सी उठते हो धुंध में,, थोड़ी शीत और

सिगरेट की तलब सी 
उठते हो धुंध में,,
थोड़ी शीत और गिरती काश
 ये जमीं समेट लेती 
अपनी धड़कनों को थोड़ी और ,,
बस सुलगते अंतस वन के 
दावानल का एक राख गिरता
और कोहरे को हटा
 समंदर की ओर दौड़ी
नीलेपन को।।

©Akash kumar
  #neelapan
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Akash kumar

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