दिल से तुम महसूस करो तो ज़िन्दगी गुलज़ार है माना धूप है तेज़ कहीं मगर कहीं पेड़ छायादार है सिर पे छत,पेट भर खाना और एक सुखी परिवार है कुछ सच्चे दोस्त मिले, उस मालिक का उपकार है ऊँची या लम्बी वाली गाड़ी नहीं है तो न सही अपने पापा की पुरानी गाड़ी क्या कम शानदार है घर थोड़ा छोटा है तो क्या हुआ दिल बहुत बड़ा है तुलसी भी है आंगन में और पेड़ सारे दिलदार है खर्चा भी चल जाता है और कोई कमी भी नहीं होती शुक्र करता हूँ रब का कितनी ज्यादा मेरी पगार है खुशियां भी उधार देता है और ब्याज भी नहीं लेता जिसे मूल की भी फिक्र नहीं दिल मेरा ऐसा साहूकार है फर्क है बस सोच का और न किसी शह की दरकार है जब दिल मे गुल है सब्र के तो सारी ज़िन्दगी गुलज़ार है 🎀 Challenge-214 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।