रसिकपरिचिता छन्द 112 221 111 112 जब कन्यादान मनुज करता । ऋण सारा विष्णु चरण धरता ।। फिर सेवा का यह अवसर दो । कहता हूँ मैं गिरधर वर दो ।। ३०/११/२०२३ -महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR रसिकपरिचिता छन्द 112 221 111 112 जब कन्यादान मनुज करता । ऋण सारा विष्णु चरण धरता ।। फिर सेवा का यह अवसर दो ।