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मेरी हस्ती, इतनी सस्ती नहीं की, टूट जाऊँ जरा सा

मेरी हस्ती, इतनी सस्ती नहीं की, 
 टूट जाऊँ जरा सा गम खाकर, 
मेरी हस्ती तो जिंदगी को जीती है, 
हर गम मुस्कराकर,
गम हार जाता है, मैं जीत जाता हूँ, 
जिंदगी जीना सिखाती है, और मैं
सीख जाता हूँ.

©पथिक..
  #उसूल ए ज़िंदगी

#उसूल ए ज़िंदगी #शायरी

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