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लम्हों मे खुशियां तलाशती वो, और उसकी आँखों में खुद

लम्हों मे खुशियां तलाशती वो,
और उसकी आँखों में खुद को तलाशता मैं।
दोनों बिखरे थे जज़्बातों से,
पर अपने बचपने से उसके चेहरे को निखारता मैं।।
आरज़ू थी मेरी,पर रब ने कहीं और थी उसकी प्रीत जोड़ी,
पर मैं देखता रहा उसे,फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी
फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी।।

लड़ रही थी खुद से और खुद के हालातों से,
दूर रख रही थी खुद को खुद के ही जज़्बातों से।
था ठंडा जिस्म उसका,थी आँखे भी नम,
शायद सोई नहीं थी वो कई रातों से।
पर ना जानें क्यों नहीं जा रही थी उससे चुप्पी तोड़ी,
मैं देखता रहा उसे,फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी।।
फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी।।


चाहा मैंने कि पूरा उसे जान लूँ,
उस पल उस लम्हें मे बस उसे थाम लूँ।
सो जाऊ उसकी जुल्फों के तले,
और उसे हमेशा के लिए अपना मान लूँ,
पर टूटा ख़्वाब मेरा,आ गया मेरा बसेरा,
गई छोड़ कर वो,शायद अब ना आए नया सवेरा।।
पर फिर मिलने की उम्मीद उसने हैं जोड़ी,
मैं फिर ख्यालों मे उसके,अब भी लगे थोड़ी थोड़ी।
अब भी लगे थोड़ी थोड़ी।। #थोड़ी #थोड़ी
लम्हों मे खुशियां तलाशती वो,
और उसकी आँखों में खुद को तलाशता मैं।
दोनों बिखरे थे जज़्बातों से,
पर अपने बचपने से उसके चेहरे को निखारता मैं।।
आरज़ू थी मेरी,पर रब ने कहीं और थी उसकी प्रीत जोड़ी,
पर मैं देखता रहा उसे,फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी
फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी।।

लड़ रही थी खुद से और खुद के हालातों से,
दूर रख रही थी खुद को खुद के ही जज़्बातों से।
था ठंडा जिस्म उसका,थी आँखे भी नम,
शायद सोई नहीं थी वो कई रातों से।
पर ना जानें क्यों नहीं जा रही थी उससे चुप्पी तोड़ी,
मैं देखता रहा उसे,फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी।।
फिर भी लगे थोड़ी थोड़ी।।


चाहा मैंने कि पूरा उसे जान लूँ,
उस पल उस लम्हें मे बस उसे थाम लूँ।
सो जाऊ उसकी जुल्फों के तले,
और उसे हमेशा के लिए अपना मान लूँ,
पर टूटा ख़्वाब मेरा,आ गया मेरा बसेरा,
गई छोड़ कर वो,शायद अब ना आए नया सवेरा।।
पर फिर मिलने की उम्मीद उसने हैं जोड़ी,
मैं फिर ख्यालों मे उसके,अब भी लगे थोड़ी थोड़ी।
अब भी लगे थोड़ी थोड़ी।। #थोड़ी #थोड़ी
abhioli5920

Abhi Oli

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