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सिर्फ़ आराम। मेरी लिखावट सोच के कोरे कागज़ पर कोरी

सिर्फ़ आराम।

मेरी लिखावट सोच के कोरे कागज़ पर कोरी है।
स्याही मन के कलम की, आज बिखरना नहीं चाहती।

बोझिल आँखे देखना चाहती है नींद के बाद का नज़ारा।
मजबूरी के साथ, थकान में डूब कर जगना नहीं चाहती।

ये उंगलियाँ हाथों की, बेजान हो जाना चाहती है।
आज कलम को थामने की, हिम्मत जुटाना नहीं चाहती।

ये थकान से टूटा बदन आज सिर्फ़ आराम चाहता है
कोई काम नहीं, कोई सोच नहीं। सिर्फ़ आराम।
सिर्फ़ आराम। 
(गीतिका चलाल)

©Geetika Chalal सिर्फ़ आराम
by-गीतिका चलाल
#rest #poem #नींद 
#गीतिकाचलाल #diary 
#Love #Life #Smile
सिर्फ़ आराम।

मेरी लिखावट सोच के कोरे कागज़ पर कोरी है।
स्याही मन के कलम की, आज बिखरना नहीं चाहती।

बोझिल आँखे देखना चाहती है नींद के बाद का नज़ारा।
मजबूरी के साथ, थकान में डूब कर जगना नहीं चाहती।

ये उंगलियाँ हाथों की, बेजान हो जाना चाहती है।
आज कलम को थामने की, हिम्मत जुटाना नहीं चाहती।

ये थकान से टूटा बदन आज सिर्फ़ आराम चाहता है
कोई काम नहीं, कोई सोच नहीं। सिर्फ़ आराम।
सिर्फ़ आराम। 
(गीतिका चलाल)

©Geetika Chalal सिर्फ़ आराम
by-गीतिका चलाल
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