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geetikachalal8368
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Geetika Chalal

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Geetika Chalal

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©Geetika Chalal (एक माँ की अर्ज़)
मेरे लाल का ठिकाना
By - गीतिका चलाल
Geetika Chalal

मेरे लाल का ठिकाना

हमेशा बस यही सोचा - मेरा आँचल ही उसका घर है।

(एक माँ की अर्ज़) मेरे लाल का ठिकाना By - गीतिका चलाल Geetika Chalal मेरे लाल का ठिकाना हमेशा बस यही सोचा - मेरा आँचल ही उसका घर है। #Poetry #Hope #Job #motherlove #needyou #GeetikaChalal #गीतिकाचलाल

7 Love

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Geetika Chalal

वक्त कहाँ तुम्हें? 

मैं नाम की मोहब्बत। कहीं रोग तो नहीं?
वक्त कहाँ तुम्हें? कहीं बोझ तो नहीं?

तुम्हारी सुबह की शुरुआत कभी मुझसे हुई नहीं।
तुम्हारे दिन का हर वक्त दफ़्तर ने छीन लिया।
घड़ी ने जब आज़ाद किया तुम्हें शाम के छोर पर
तुमने वो वक्त भी दोस्तों में बाँट दिया।

ना सुबह तुम्हारा साथ था, न दिन से कोई उम्मीद थी।
तुम्हारी शाम एक क़ैदी थी, अब बाक़ी बस रात थी।

चाहत इतनी थी कि रात तरस करे मुझ पर
और तुम्हारे वक्त का एक क़तरा मेरे नाम कर दे।
वो क़तरा मेरा बस इतना सा काम कर दे
सिर्फ़ मैं याद रहूँ तुम्हें, बाक़ी सब को अनजान कर दे।

मेहरबान तुम हुए नहीं, तुम भूल गए मुझे
मिलकर रात और नींद ने, कर ली फिर साज़िशें

तुम बेफ़िक्र होकर सोते रहे, टूटी सी मैं सोचती रही
मेरी अहमियत तुम्हारी ज़िंदगी में, आख़िरी से भी आख़िरी नहीं।
ना जाने कब रात बीती- कब सुबह हो गई!
पर तुम्हारी ये सुबह भी मुझसे शुरू हुई नहीं।

मैं नाम की मोहब्बत। कहीं रोग तो नहीं?
वक्त कहाँ तुम्हें? कहीं बोझ तो नहीं?
(गीतिका चलाल)
@geetikachalal04

©Geetika Chalal Love needs a little Time, Care and Attention.
Only commitment of Love does not cherish the Relationship.

वक्त कहाँ तुम्हें? 
By- गीतिका चलाल
Geetika Chalal
Insta- @geetikachalal04

Love needs a little Time, Care and Attention. Only commitment of Love does not cherish the Relationship. वक्त कहाँ तुम्हें? By- गीतिका चलाल Geetika Chalal Insta- @geetikachalal04 #Pain #Shayari #alone #needyou #GeetikaChalal #गीतिकाचलाल #वक्तकहाँतुम्हें

12 Love

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Geetika Chalal

इश्क़ का रंग

इश्क़ का रंग लेकर आया, दीवाना मुझे रंगने
इक नज़र ही काफ़ी थी, मुझे लाल करने को
शर्म का बोझ लादे रही, पलकें उठी न एक बार भी
उसका आना ही काफ़ी था, ये दिल बदहाल करने को

नाकाम दूरियां! रंग इश्क़ का, फीका न कर सकी
दूरी 'दूरी' न थी, गुम रहे एक - दूजे के ख़्याल में
मौसम बीते, अरसा बीता, इश्क़ भी निखरता रहा
और दीवाना लौट आया, मुझे अपना बनाने हर हाल में

ज़ाहिर करती कैसे, कि कब चढ़ा मुझ पर रंग उसका
वो दीवाना नज़रअंदाज़ करता रहा, फिरता रहा भीड़ में
शर्म भी, डर भी और कमब़ख्त! ख़ुमार इस चाहत का
क्यों न रंगती इश्क़ में, क्यों न घोलती रंग तक़दीर में

मैं भी हुई दीवानी, अरसे बाद मिलकर दीवाने से
काबू न हुई हलचल, दिल भी न अब संभले
चढ़ जाए रंग ऐसा गहरा, अब कयामत तक न उतरे
आख़िर! इश्क़ का रंग लेकर आया, मेरा दीवाना मुझे रंगने (गीतिका चलाल) 
@geetikachalal04

©Geetika Chalal " रंग इश्क़ का है बड़ा गहरा, 
उतर जाए यूँही तो वो इश्क़ कहाँ?"

इश्क़ का रंग
By - गीतिका चलाल
Geetika Chalal

इश्क़ का रंग

" रंग इश्क़ का है बड़ा गहरा, उतर जाए यूँही तो वो इश्क़ कहाँ?" इश्क़ का रंग By - गीतिका चलाल Geetika Chalal इश्क़ का रंग #shayri #ishq #truelove #Shayari #gajal #missingsomeone #truefeelings #GeetikaChalal #गीतिकाचलाल

9 Love

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Geetika Chalal

मुझसे प्यार करते।

तुम भी वही जज़्बात रखते
वही शिद्दत, वही एहसास रखते
एक बार सुन लेते मुझे ग़ौर से
फिर ताउम्र अपनी बात रखते
ये दूरियाँ ख़ाक करते, या ख़ाक दहकता अंगार करते।
या तो इल्तिजा नज़रअंदाज़ करते या मुझसे प्यार करते।।

मैं यूँ न रोती ज़ार - ज़ार तन्हाई में
मैं यूँ न होती बेज़ार इस जुदाई में
न भीगता सिरहाना, न भीगती चादर
मैं यूँ न गुम होती, यादों की परछाई में
सीने से लगाते, या ख़ंजर मेरे, सीने से पार करते।
या तो मेरा क़त्ल करते या मुझसे प्यार करते।।

लम्बी दास्तान नहीं, बस ज़रा सी बात थी
उन हालातों में न तुम बर्बाद थे, न मैं आबाद थी
थाम तो लिया था हाथ मेरा, उस बचपने में
पर उस दिल्लगी में, न तुम क़ैद थे, न मैं आज़ाद थी
फ़रेब ही कह देते मेरी इबादत को या यक़ीन एक बार करते।
या तो बेइज़्ज़ती इतनी असरदार करते या वाक़ई मुझसे प्यार करते।। 
(गीतिका चलाल)
@geetikachalal04

©Geetika Chalal मुझसे प्यार करते।
By - गीतिका चलाल
Geetika Chalal
@geetikachalal04

मुझसे प्यार करते।

तुम भी वही जज़्बात रखते

मुझसे प्यार करते। By - गीतिका चलाल Geetika Chalal @geetikachalal04 मुझसे प्यार करते। तुम भी वही जज़्बात रखते

11 Love

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Geetika Chalal

माँ हिंदी नीर बहाए

मूक क्यों तुम बने यहां? करते न क्यों तुम न्याय?
बीच सभा में पूछ रही माँ हिंदी नीर बहाए
क्यों पीड़ा न समझे पीढ़ी, क्यों करें मुझे असहाय?
बधिर सभा से पूछ रही, माँ हिंदी नीर बहाए

मेरे ही अंश सब तुम, मैं ही यशोदा - देवकी
यदि त्याग मेरा शून्य है, परिभाषा क्या स्नेह की?
लज्जा कैसे मेरे स्वर से?  मैं ही प्रथम अध्याय
आज मांग रही है उत्तर, माँ हिंदी नीर बहाए

तीव्र समय की धार में, स्वीकारा सब परिवर्तन
स्वीकारा स्वयं का खण्डन, सब कुछ किया है अर्पण
क्या सम्मान नहीं इस माँ का? क्यों अपमान मेरा किया जाय?
रूदित स्वर में पूछ रही, माँ हिंदी नीर बहाए

क्यों मूकबधिर है सभा, क्यों खड़े सब सिर झुकाए?
प्रश्न सभी से पूछ रही, माँ हिंदी नीर बहाए
क्यों आघात मेरे अस्तित्व पर, कौन वास्तिवकता मेरी बचाए?
निराधारों से आधार मांग रही, माँ हिंदी नीर बहाए (गीतिका चलाल) @geetikachalal04

©Geetika Chalal आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।🙏😇

माँ हिंदी नीर बहाए
By- गीतिका चलाल
Geetika Chalal

माँ हिंदी नीर बहाए

आप सभी को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं।🙏😇 माँ हिंदी नीर बहाए By- गीतिका चलाल Geetika Chalal माँ हिंदी नीर बहाए #India #Pain #poem #हिंदीदिवस #IndiaLoveNojoto #GeetikaChalal #हिंदीभाषा

12 Love

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Geetika Chalal

हमें प्रेम में रहने दो।

प्रश्न अनेक उठेंगे अब हमारे प्रेम पर,
गर्जन तुम्हारी मौनता की आक्रामक थी।
काले मेघ बरस रहे, अभी और बरसेंगे।
मेरी चपलता, तुम्हारी मौनता में विलीन थी।

ये संचित प्रेम, प्रवाह से कब जल-प्रपात बना?
कब दुविधाओं ने तुम्हें मुक्त किया?
कैसे साहस ने तुम्हारा आलिंगन किया?
ये मौनता का बाँध कैसे तुमने तोड़ लिया?

मैं मानती रही अभागा स्वयं को।
मेरी प्रतीक्षा का अंत न था।
मैंने स्वीकारा - मैं सीता न थी। 
मैं दासी तुम्हारी, मैं मात्र मीरा।

चक्रव्यूह अति जटिल है अब भी
जाति का, धर्म का, कुल का, गोत्र का।
तुममें-मुझमें, क्या सामर्थ्य है इसे तोड़ने का?
चक्रव्यूह अति जटिल है अब भी
दर्प में लिप्त नीति का, आडंबर में लिप्त समाज का।
तुममें-मुझमें, क्या सामर्थ्य है इसे तोड़ने का?

मैं निश्चिन्त हूं अब कि तुमने स्वीकारा मुझे।
मैं निश्चिन्त हूं अब कि ये प्रेम कुंचित मर्म नहीं।
मुझे इस क्षण हर्ष में जीने दो।
मेरा ईश्वर भी जनता है - निस्वार्थ प्रेम का कोई अंत नहीं।

तुम्हारी मौनता ने सिद्ध किया - प्रेम का स्वरूप केवल विवाह नहीं।
तुम्हारी गर्जन ने सिद्ध किया - प्रेम में कोई भेद नहीं।

निवेदन! इस समाज से। प्रार्थना! प्रत्येक नीति से।
हमें मौन रहने दो। कोई प्रश्न ना करो।
सब स्पष्ट है। अब केवल हमें प्रेम में रहने दो। (गीतिका चलाल) 
@geetikachalal04

©Geetika Chalal हमें प्रेम में रहने दो।
By-गीतिका चलाल

हमें प्रेम में रहने दो।

प्रश्न अनेक उठेंगे अब हमारे प्रेम पर,
गर्जन तुम्हारी मौनता की आक्रामक थी।
काले मेघ बरस रहे, अभी और बरसेंगे।

हमें प्रेम में रहने दो। By-गीतिका चलाल हमें प्रेम में रहने दो। प्रश्न अनेक उठेंगे अब हमारे प्रेम पर, गर्जन तुम्हारी मौनता की आक्रामक थी। काले मेघ बरस रहे, अभी और बरसेंगे। #Pain #Reality #Society #poem #truelove #Shayari #darkness #truefeelings #GeetikaChalal #गीतिकाचलाल #IshqUnlimited

11 Love

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Geetika Chalal

एक ज़मीं मेरी भी है

जहाँ पेड़ का बचपन बोया गया।
बढ़ती उम्र के साथ, जवानी ने घनी पत्तियों का रूप ले लिया।
फल हर कर्म के लदे रहे उन डालियों पर,
कुछ स्वाद में मीठे तो कुछ ने सड़न का रूप ले लिया।

जड़ें मिट्टी के अंदर फैल कर रिश्ते जोड़ने लगी।
पानी, धूप और हर मौसम के साथ ढ़लने लगी।

कभी सुकून भरी छांव का किरदार निभाती।
कभी फल दे कर, राही की भूख मिटाती ।
कभी शरारती बच्चों को झुलाती।
तो कभी पंछियों का घर बन जाती।

बुढ़ापे के इंतज़ार में उस ज़मीं में,
ख़ुद को ऐसे जमा देती।
जैसे जीवन और मरण, 
शून्य से अनंत,
सब में मिल चुकी हो।

वहीं जन्म, वहीं पूरी कथा।
वहीं मृत्यु, वहीं सारी व्यथा।।

पालना भी वहीं है, कब्र भी वहीं है।
शहरीकरण के कड़वे अतीत में,
निर्दोष पेड़ों की आवाज कहे-
"छोड़ दो एक कोना, एक ज़मीं मेरी भी है।" (गीतिका चलाल)

©Geetika Chalal एक ज़मीं मेरी भी है
by- गीतिका चलाल
Geetika Chalal


एक ज़मीं मेरी भी है

जहाँ पेड़ का बचपन बोया गया।

एक ज़मीं मेरी भी है by- गीतिका चलाल Geetika Chalal एक ज़मीं मेरी भी है जहाँ पेड़ का बचपन बोया गया। #Nature #Life #Thoughts #Opinion #loveNature #savetrees #HappyEnvironmentDay #GeetikaChalal #गीतिकाचलाल

14 Love

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Geetika Chalal

ख़्वाहिशों की दुनिया

ख़्वाहिशों की दुनिया में आज़माइश
की शर्त नहीं होती और न ख़ुदा से
मिन्नतें करनी पड़ती है कुछ पाने की।

ख़्वाहिशों की दुनिया में अधूरेपन का 
दूर दूर तक वजूद नहीं होता।
क्योंकि अक्सर जो हक़ीक़त हमें अपनाती नहीं
ख़्वाहिशों की दुनिया में उस पर सारा
हक़ सिर्फ हमारा होता है।

यहाँ बादशाह भी हम है, गुलाम भी हम है
यहाँ मौत भी हम है, जान भी हम है
बेहद हसीन झूठ है ये ख़्वाहिशों की दुनिया
यहाँ बनाने वाले से लेकर, मिटाने वाले भी सिर्फ हम है।

उफ़ बड़ा ललचाती है
ये ख़्वाहिशों की दुनिया। (गीतिका चलाल)
@geetikachalal04

©Geetika Chalal ख़्वाहिशों की दुनिया
by- गीतिका चलाल
Geetika Chalal

ख़्वाहिशों की दुनिया

ख़्वाहिशों की दुनिया में आज़माइश
की शर्त नहीं होती और न ख़ुदा से

ख़्वाहिशों की दुनिया by- गीतिका चलाल Geetika Chalal ख़्वाहिशों की दुनिया ख़्वाहिशों की दुनिया में आज़माइश की शर्त नहीं होती और न ख़ुदा से #Music #Life #Dream #Quote #Thoughts #Imagination #poem #GeetikaChalal #गीतिकाचलाल

10 Love

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Geetika Chalal

वह स्वयं संपूर्ण संसार है

पावन प्रेम-नदी के तट पर,
आशाओं की कुटिया में रहे वो।
आजीवन हर माह, हर ऋतु में 
मंगल कामना की जाप करे वो।

अनेक प्रतिमाओं को नमन कर,
एक ही प्रार्थना सदैव करती है।
सुदूर अपने दीप के लिए,
हर मंदिर पर दीप प्रज्वलित करती है।

ईश्वर ने प्रत्येक युग में, प्रत्येक जीव में
बनाया जीवनदात्री इस पात्र को।
प्रथम श्वास से प्रथम मार्गदर्शक तक
सारथी बनी स्वयं अनादि वो।

कोसों दूर बस रहे अपने प्राणों को
अब घर के जलते दीप में ढूंढती है।
दृष्टि अटकी रहे सदैव, उस प्रकाश में
जो वृद्ध आशाओं को सुख देती है।

झोली में प्रेम का सागर भरा है।
प्रेम रहित हो जाना, ना जाने वो।
अविरल ताप में शीतल चंदन बन जाये जो
केवल निस्वार्थ प्रेम करना ही जाने वो।

वह शक्ति, वह स्नेह मूरत - ' जननी ' है।
उत्पत्ति का आधार है।
हमने पद - ' माँ ' दिया है किंतु
वह स्वयं संपूर्ण संसार है। (गीतिका चलाल) 
@geetikachalal04

©Geetika Chalal वह स्वयं संपूर्ण संसार है।

by-  गीतिका चलाल
Geetika Chalal

वह स्वयं संपूर्ण संसार है।

पावन प्रेम-नदी के तट पर,

वह स्वयं संपूर्ण संसार है। by- गीतिका चलाल Geetika Chalal वह स्वयं संपूर्ण संसार है। पावन प्रेम-नदी के तट पर, #Love #Thoughts #माँ #MothersDay #Care #poem #GeetikaChalal

13 Love

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Geetika Chalal

थोड़ा इन्तज़ार और सही

तीन घंटे से लंबी कतार में, बस ये कह कर आगे बढ़ती
कि थोड़ा इन्तज़ार और सही। 
पर कोसते ज़ुबाँ सब्र को पहचानते नहीं।
कोई कहता- चुनाव में जुमलेबाजी करने वाले आज लापता है।
तो कोई कहता- अब अधिकारी हमारे हालात नहीं, जेब की गर्मी देखते है।

और दूसरी तरफ अधिकारियों का कहना था-
मौसम के ताप का शिकार हुए है हम
गर्मी जेब में नहीं, हमारे दुखते-जलते पैरों में है।
गली-गली जा कर, लोगों की तानों की आग में पहले दिल फिर बदन जला कर,
दौड़-भाग से पैरों तक झुलसते है और फिर जब घर लौटे
तो जलता हुआ बिस्तर आराम नहीं, बेचैन दौड़ती सोच देता है।

बरसात ने इस बार नाराज़गी दिखाई थी।
झरनों और सैलाब ने गुम होना बेहतर समझा।
अधिकारी बरसात की उम्मीद में डूबे थे
और आम जनता जल विभाग को कोसते रहते।

पर ग़लती किसकी है? क्या इल्ज़ाम थोपना इतना ज़रूरी है?
शिकायतों का अम्बार लगना वाजिब है।
पर आख़िर ये शिकायत है किससे?
काश! इन्तज़ाम ऐसे कर पाते अपने घरों पर
कि हर साल बरसात का थोड़ा सा पानी बचा लेते
तो आज न परेशानी होती, न शिकायत,
न इल्ज़ाम होते, न लम्बी कतार और न खाली बर्तनों संग इन्तज़ार।

आने वाला कल जब हमें बंजर कर जायेगा
तब किसे क़सूरवार ठहराएंगे, कुदरत से लड़ पाएंगे?

खैर! सोच के इस उथल-पुथल में जब मेरी बारी आयी 
तो नल ने मुँह बन्द कर लिया और मैंने फिर ख़ुद से कहा- थोड़ा इन्तज़ार और सही। 
(गीतिका चलाल) @geetikachalal04

©Geetika Chalal थोड़ा इन्तज़ार और सही
by-गीतिका चलाल
Geetika Chalal

तीन घंटे से लंबी कतार में, बस ये कह कर आगे बढ़ती
कि थोड़ा इन्तज़ार और सही। 
पर कोसते ज़ुबाँ सब्र को पहचानते नहीं।
कोई कहता- चुनाव में जुमलेबाजी करने वाले आज लापता है।

थोड़ा इन्तज़ार और सही by-गीतिका चलाल Geetika Chalal तीन घंटे से लंबी कतार में, बस ये कह कर आगे बढ़ती कि थोड़ा इन्तज़ार और सही। पर कोसते ज़ुबाँ सब्र को पहचानते नहीं। कोई कहता- चुनाव में जुमलेबाजी करने वाले आज लापता है।

14 Love

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