इन सूनी राहों पर, न जाने क्यूं भटकता हूं, हर पल हर क्षण मैं बेचैन रहता हूं। किसी के आने का मैं यहां इंतजार करता हूं न जाने कब मिलेगा वह मुझे, बुलाया बार-बार करता हूं। कवयित्री सुनीता प्रजापत #इन सूनी राहों पर