Nojoto: Largest Storytelling Platform

भावनाओं के सागर में डूबती गहरे उतर देखा है मैंने

भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं 
सौरभ से परिपूर्ण 
जागृत शिखा सी 
आत्मा का अनुताप 
पलकों पर सुन्दर 
कोमल सपनों का बसेरा 
कई अभिलाषाएँ  
 एक खिंचाव ..
उत्ताल तंरग पर नाचती संध्या 
हृदय के गीतो में 
समाहित सुरभित सुगंध 
झोंका पवन का 
झड़ते पात संग 
भावों के झड़ते पनपते रंग
मन के झरोखों को
 खोलता हुआ सा 
एक पुकार और अबुझ 
फागुन का शोर 
बस तुम्हारी ही  ओर ..

©shalini jha भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं
भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं 
सौरभ से परिपूर्ण 
जागृत शिखा सी 
आत्मा का अनुताप 
पलकों पर सुन्दर 
कोमल सपनों का बसेरा 
कई अभिलाषाएँ  
 एक खिंचाव ..
उत्ताल तंरग पर नाचती संध्या 
हृदय के गीतो में 
समाहित सुरभित सुगंध 
झोंका पवन का 
झड़ते पात संग 
भावों के झड़ते पनपते रंग
मन के झरोखों को
 खोलता हुआ सा 
एक पुकार और अबुझ 
फागुन का शोर 
बस तुम्हारी ही  ओर ..

©shalini jha भावनाओं के सागर में डूबती 
गहरे उतर देखा है मैंने 
ठहरा हुआ सा 
मन का वो बसंत 
उमंगो के आकाश में 
रक्तिम पलाश से 
लगी आग 
जो अब तक बुझी नहीं
sanjanapndey8223

shalini jha

New Creator

भावनाओं के सागर में डूबती गहरे उतर देखा है मैंने ठहरा हुआ सा मन का वो बसंत उमंगो के आकाश में रक्तिम पलाश से लगी आग जो अब तक बुझी नहीं #Love #togetherforever