दहेज के इंतजार में, ना जानें आज कितनी बेटियाँ, अरमानों की होलिका दहन कर, बाबुल के घर पड़ी है। इन दहेज रूपी दानवों का, हमें संहार करना ही होगा, जो बेटियों के राह में, सुरसा की तरह मुँह बाये खड़ी है। 🌝प्रतियोगिता- 12🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌷"दहेज़ एक कलंक" 🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I