मित्रता में करुण बहती हे जीवन में रस यही देती दुर्लभ सा ये रिश्ता हे, जीवन का कोई ये किसा हे कपंन ध्वनि सी अति हे, धरतल ये टकराती हे, मान इसी पर होता हे, खोने को कुछ ना होता हे संघर्ष में मित्र आते हे, हम को सुमार्ग दिखाते हे संदूक में इने बंद कर लू में, अपना सा इने कर लू में बनके मेरा कल्प वृश्र, मेरे होते हे समीप वेदो में लिखी ये वाणी, अर्जुन ओर कृष्णा की जुबानी, मित्रता वो रसधार हे, जिसमे बहता संसार हे दो बिंदु से प्रारभ होते , अनंत गगन में ये मिलते ललित गौतम # birthday boy #मित्र # कविता #हिंदी कविता