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"आप यूँ जो ख़ामखा मुस्कुरा देते हैं बुझने की आस लिए

"आप यूँ जो ख़ामखा मुस्कुरा देते हैं
बुझने की आस लिए अंगारो को हवा देते हैं
बड़ी चालाकी से पहले मर्ज़ दिए देते हैं
फ़िर एम आर पी से महंगी दवा देते हैं

चलो एक बात हम भी बता देते हैं
आपके हसीन गुनाह को छुपा देते हैं
जब आग लग ही गयी है बारिश में भी
बेघर हैं पर तुझे इस दिल में पनाह देते हैं"

#पनाह___बेपनाह
#सदैव

©Dev As
  #sadak