अपनी टूटी ज़िंदगी से तुझे खोने ना दूंगा बेवज़ह इन हालात पर तुझे रोने ना दूंगा मिरी यादों को तकिए तले संभाले रखना सरक गया कहीं ग़र तो तुझे सोने ना दूंगा दर्द तो बढ़ गया मुसलसल तेरे हिज्र में नासूर हो जाए, किसी और को छूने ना दूंगा लबों पर तेरे, मिरे उल्फ़त का रंग चढा़ है घुल जाऊंगा तुझमें मग़र तुझे धोने ना दूंगा खुद्दार हूँ, मजबूर हूँ, हैसियत से अपनी यूं फसल काटने वास्ते तो तुझे बोने ना दूंगा बेशक तेरी मर्जी है बेवफाओं की तरह रहे लेकिन यूं किसी और का तुझे होने ना दूंगा, ©kumar ramesh rahi #जिंदगी #बेवज़ह #यादों #दर्द #उल्फ़त #हिज्र #हैसियत #kumarrameshrahi #wetogether