दिल के मशाल ने जहाँ आग लगायी पीछे मुड़ा मैंने देखा वो जलता हुआ शहर मेरा था। जहाँ चिंगारिया सबसे ज्यादा उड़ी वो दहकता हुआ घर मेरा था।। सिद्धार्थ वैद्य #मशाल