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siddharthvaidya3731
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siddharth vaidya

रूह हू एक दिन खाक हो जाऊंगा 9453207589#

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siddharth vaidya

शिव होना अर्थात शून्य होना
शून्य अर्थात कुछ नही होना 
या फिर सब कुछ शून्य में समाहित होना
संपूर्ण जीवन 
फिर उसमे आनंद
फिर मोक्ष होना।
हर हर हर महादेव

©siddharth vaidya
  #mahashivaratri
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siddharth vaidya

#janmashtami
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siddharth vaidya

प्रकृति के द्वारा प्रदत्त सभी सुविधाओं का उपभोग तो मनुष्य करता ही है, लेकिन कभी भी प्रकृति के अवयवो को धन्यवाद नही करता है , हमे कृतज्ञ होना चाहिए उसके ममतामई स्वरूप का , और कुछ हिस्सा छोड़ देना चाहिए अगली पीढ़ी के उपभोग के लिए।

©siddharth vaidya
  #WorldEnvironmentDay
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siddharth vaidya

नवरात्रि
माता के नौ रूप , अर्थात नौ शक्तियां , शक्ति अर्थात जीवन को क्रियाशील रखने की ऊर्जा , यह ऊर्जा उतनी ही पवित्र है, जितनी कि माता ।,
रजोगुणी पिता , और सतोगुणी माता से उत्पन्न हुआ मैं तमोगुणी पुत्र , आज मैं यह समझ पाया हूं कि भले ही मेरी प्रवृत्ति राक्षसी है लेकिन पालन पोषण उत्तम प्रकृति का है।
अतः इस शिवभक्त को सती के सभी स्वरूपो को सहस्त्र बार प्रणाम 🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼🙏🏼

©siddharth vaidya #navratri
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siddharth vaidya

#वैभव संस्कृति की (1)
सिद्धार्थ 
हे वीणावादिनी मुझको अभी अभिभूत कर
यह लेखनी मद्धिम न हो वाणी भी अद्वैत कर
मैं खड़ा लिख रहा इतिहास के कंकाल से
बच ना पाया कोई यह, स्याही के जंजाल से
कर जोड़े तेरे सामने , खड़ा है वेद वक्ता यहाँ
अकबर और अशोक भी, ले खड़े सत्ता यहाँ
मेरा अभिप्राय बस यही, क्यों वेद संस्कृति घट रही 
अब यहाँ सीता नही, धरा भी ना फट रही,
प्रसिद्धि दूर तक फैली हुई, चहुँओर हमारा गुणगान था,
विश्व मे चिर संध्या हमारी , अपना ही विहान था।।।
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©siddharth vaidya #alone
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siddharth vaidya

#अलग्योझा
मुख मलीन सा हो चला है पावँ मेरे रुकते नही,
काँटो भरा ये रास्ता घाव मेरे भरते नही,
करी यौवन की मैंने गुलामी 
आदर्श बेड़ियों में जकड़ा रहा
कट गए पंखे ,परिंदे फिर भी यू अकड़ा रहा,
अलग्योझा हो गया जीवन से।
नित नए विषपान करता
फिर भी अभिमान जाता नही,
सांख्य , दर्शन पढ़ लिए भी 
फिर भी अवसान जाता नही।
अलग्योझा हो गया जीवन से।

©siddharth vaidya #waiting
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siddharth vaidya

#काफिर कलम
हर कलम की अपनी मर्यादा होती है ऐसा नही है कि उसे अधिकार है अपनी स्याही कही भी उड़ेल दे, और पवित्र कोरे कागज को अपवित्र कर दे। कलम को पकड़े हुए उन उंगलियों के बारे में कभी आपने सोचा है कि वे आसमान होते हुए भी समान रूप से उसे सहारा देती रहती है उनका स्वालम्बन ही बहुत है उस असीम लेखनी के लिए जो मस्तिष्क में बेबाक उपजे हुए विचारों को इशारे में लिखती है , कभी सोचा उन तरंगों के बारे में जिसके आदेश की अवहेलना कोटि न तो उंगलिया कर सकती है ना ही ये काफ़िर कलम।

©siddharth vaidya #Hope
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siddharth vaidya

सनातनी परम्परा के अनुसार, अपने क्रोध, लोभ, ईर्ष्या और दुर्भावना नामक होलिका को पवित्र हुताशन रूपी अग्नि को समर्पित कर दे, उसके बाद भक्ति, शक्ति, दया, करुणा रूपी प्रह्लाद आपके भीतर रह जाएंगे।
फाल्गुन माह वर्ष का अंतिम माह होता है अतः प्रेम की शुरुआत भी इसी माह से है। 
होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएं।।

©siddharth vaidya #holikadahan
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siddharth vaidya

my first

my first #लव

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siddharth vaidya

महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
प्रकृति ने दो ही जातियां बनाई स्त्री और पुरुष ,एक को पौरुष दे दिया दूसरे को ममता,दया,करुणा,लज्जा, पुरुष को अधिकार में बांध दिया स्त्री को भाव मे , बिना अधिकार भाव नही, बिना भाव अधिकार नही,
समानता होनी चाहिए भावनात्मक, जीवन शैली ,अभिव्यक्ति की,
गुणों की समानता तो प्रकृति में विरोधाभास पैदा कर देती है।
ईश्वर ने उदभव होने का और अंकुरित होने का अधिकार स्त्री को केवल इसलिए दिया कि स्नेह , और वात्सल्य जैसे गुण सिर्फ उसी के पास है। सशक्त करिए माता को बच्चा अपने आप सशक्त हो जाएगा।
एक स्त्री के विवेकपूर्ण होने से पूरी एक पीढ़ी चेतनायुक्त होती है।
परन्तु अगर यह समाज अगर जेल है यहाँ से स्त्री आजाद होने चाहती है तो दुर्भाग्यपूर्ण है, क्योंकि विचारों से आजाद होना सरल है परंतु कर्तव्य से आजाद होना निहायत मूर्खतापूर्ण ।
बिना लगाम का घोड़ा कभी रेस नही जीतता अर्थात अनुशासन ही जीवन बोध है।
सशक्त करे , अभिव्यक्त करे, परित्यक्त नही

©siddharth vaidya #womensday
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