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त'अल्लुक़ ख़त्म तो बे-पर्दा सरेआम किया, राज़ को रा

त'अल्लुक़ ख़त्म तो बे-पर्दा सरेआम किया,
राज़ को राज़ ही रखते क्यों बदनाम किया,

दिया उड़ने का मौक़ा आसमान भी देते,
ख़ामख़ाह दुनिया को तुमने गलत पैग़ाम दिया,

तेरे  मौक़े  का  वो  ताउम्र  शुक्रिया  करती, 
अपनी मिहनत से ही हासिल नया मुक़ाम किया,

अहम का खेल बुरा होता है ज़माने में, 
लुटा  सुकून चैन ज़िन्दगी हराम किया, 

मधुर  संबंध  दूध  में  घुला  शक्कर  जैसे,
डालकर सिरका फक़त रिश्ते को तमाम किया, 

बंद दरवाज़े के अंदर का सच दिल में रखते, 
अपनी चाहत को भला कौन सा इकराम दिया,

नाव मझधार में लहरों से लड़ रही 'गुंजन',
बेवफ़ा प्यार का क्योंकर न एहतराम किया,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ग़लत पैग़ाम दिया#
त'अल्लुक़ ख़त्म तो बे-पर्दा सरेआम किया,
राज़ को राज़ ही रखते क्यों बदनाम किया,

दिया उड़ने का मौक़ा आसमान भी देते,
ख़ामख़ाह दुनिया को तुमने गलत पैग़ाम दिया,

तेरे  मौक़े  का  वो  ताउम्र  शुक्रिया  करती, 
अपनी मिहनत से ही हासिल नया मुक़ाम किया,

अहम का खेल बुरा होता है ज़माने में, 
लुटा  सुकून चैन ज़िन्दगी हराम किया, 

मधुर  संबंध  दूध  में  घुला  शक्कर  जैसे,
डालकर सिरका फक़त रिश्ते को तमाम किया, 

बंद दरवाज़े के अंदर का सच दिल में रखते, 
अपनी चाहत को भला कौन सा इकराम दिया,

नाव मझधार में लहरों से लड़ रही 'गुंजन',
बेवफ़ा प्यार का क्योंकर न एहतराम किया,
   ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
      चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ग़लत पैग़ाम दिया#