#OpenPoetry ये हकीकत है कि होता है असर बातों में तुम भी खुल जाओ दो चार मुलाकातों में तुमसे सदियों की वफाओं का कोई नाता ना था तुमसे मिलने की लकीरे थी मेरे हाथों मे तेरे वादों ने हमें घर से निकलने ना दिया लोग मौसम का मजा ले गए बरसातों में अब न सूरज न सितारे न शमा और न चाँद अपने जख्मों का उजाला है घनी रातों में #Mustakeem rafi