अब वो शख़्स भी घूरता है मुझे, जो आइने में दिखता है मुझे। नज़रों में है इल्ज़ामों का सैलाब, जैसे मेरी हर हार लिखता है मुझे। पहले वो दोस्त था, हमराज़ था मेरा, अब तो अजनबी सा लगता है मुझे। ख़ामोश खड़ा है, पर चीखता हुआ, अपने ही सवालों में जकड़ता है मुझे। कभी मेरे होने की वजह था वही, आज वही मेरा वजूद मिटाता है मुझे। शायद ये आइना भी थक गया है अब, जो मेरी ही परछाई से डराता है मुझे। ©UNCLE彡RAVAN #Dark