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हर तरफ धुप्प अंधेरा है आगे घना कोहरा है रास्ता दि

हर तरफ धुप्प अंधेरा है 
आगे घना कोहरा है
रास्ता दिख नही रहा
 राह में मिल कोई नही रहा
क्या करूँ न करूं
समझ भी नही आ रहा
आवाज दूँ किसे दूँ
कोई सुनेगा भी यहाँ?
गूंगी बहरी व्यवस्था
चिल्ला भी नही सकता
गरज कर थक चुके सब
मेरी कौन सुनेगा
लगता लड़ पडू सबसे
डरता पिट जाऊंगा
अंदर ही लड़ रहा हूँ
आगे बढ़ रहा हूँ मैं
भोर होगी कभी
पूरी रात चलनी हैं
मैं रहूँ न रहूँ
सूरज के निकलने तक

©ranjit Kumar rathour
  सफर 
#घना कोहरा

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