#OpenPoetry जब मैं बुड्ढी हो जाऊँगी, गुमनामी के अंधेरे में खो जाऊँगी। जब यार सारे आपके छूटे जायेंगे, अपने सारे रूठ जायेंगे। । जान तब भी मुझे ऐसे ही चाहोगे ना? मेरे झिल्मिलाती आँखो मे फिर से वही सपने उतरोगे । तभी भी क्या मुझे अपनी बच्ची कह कर ही पुकरोगे।। क्या मेरी खामोशी को सुन कर , मेरी बाते तब भी समझ जाया करोगे। और मेरी बदमशियोँ को झट से पहचान जाया करोगे।। बोलो ना प्यार के वादे निभओगे ना? जान तब भी मुझे ऐसे ही चाहोगे ना? अभी तो कस्मे निभाने बहोत है, बहोत कुछ पाने केइरादे बहोत है। पर जब समय के साथ सब कुछ बीत जायेगा ,मेरा रहना ना दिख पायेगा, तब भी अपने सिने मे छुपा के मुझे दुनिया दिखओगे ना । बोलो ना जान तब भी मुझे ऐसे ही चाहोगे ना? जब एक दिन ऐसा आयेगा , मेरा रहना या रहना कोई खास ना रह जायेगा, मै जिन्दा हुं या नही इसका किसी को अभास ना हो पायेगा। फिर भी मै खुदा से फरियाद करूंगी , तुमसे पहले उपर तुम्हरा इन्तज़ार करूँगी। हर शाम हर पल तुम्हे याद करूंगी ,एक बार फिर दिल तुम्हारे नाम करूंगी।। जब एक दिन ऐसा आयेगा मेरि बिन्दिया , मेरे काजल बह जायेंगे, तुम्हारे दिये हुये झुम्के कही गिर जायेंगें , जब मेरी सांसे मुझसे रूठ जाएँगी , अंतिम विदाई मे भी यूहि प्यार लुटाओगे ना? जान कह दो ना एक बार तब भी मुझे ऐसे ही चाहोगे ना? #OpenPoetry #love #nojoto