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सच से रखूँ राब्ता अपनी ख़बरों की तफ़तीश करूँ, घर

सच से रखूँ राब्ता अपनी ख़बरों की तफ़तीश करूँ, 
घर के शातिर चोरों से ही पहले मैं दस-बीस करूँ, 

ख़्वाब करूँ पूरे लकीर मैं खींचूँ बड़ी सफलता की, 
करूँ ज्ञान संवर्धन हर दिन उन्नीस से इक्कीस करूँ,

आजादी का वर्ष पचहत्तर देश नया आयाम गढ़े, 
अमृत बेला में हो "विकसित राष्ट्र" मुकुट निज शीष धरुँ, 

हो चहुंमुखी विकास देश अपना समृद्ध बने जग में, 
बने आत्मनिर्भर भारत यह विनती मैं जगदीश करूँ,

ऊँच-नीच का भेद मिटे कर्तव्यपरायण हो जनता, 
देश-भक्ति का भाव हृदय में जगे यही आशीष करूँ, 

जन-जन में विश्वास नया पीड़ा हर लूँ मन की 'गुंजन',
नई चेतना भरूँ हृदय में ख़ुद को मैं वागीश करूँ, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ख़ुद को मैं वागीश करूँ#
सच से रखूँ राब्ता अपनी ख़बरों की तफ़तीश करूँ, 
घर के शातिर चोरों से ही पहले मैं दस-बीस करूँ, 

ख़्वाब करूँ पूरे लकीर मैं खींचूँ बड़ी सफलता की, 
करूँ ज्ञान संवर्धन हर दिन उन्नीस से इक्कीस करूँ,

आजादी का वर्ष पचहत्तर देश नया आयाम गढ़े, 
अमृत बेला में हो "विकसित राष्ट्र" मुकुट निज शीष धरुँ, 

हो चहुंमुखी विकास देश अपना समृद्ध बने जग में, 
बने आत्मनिर्भर भारत यह विनती मैं जगदीश करूँ,

ऊँच-नीच का भेद मिटे कर्तव्यपरायण हो जनता, 
देश-भक्ति का भाव हृदय में जगे यही आशीष करूँ, 

जन-जन में विश्वास नया पीड़ा हर लूँ मन की 'गुंजन',
नई चेतना भरूँ हृदय में ख़ुद को मैं वागीश करूँ, 
    ---शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
        चेन्नई तमिलनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #ख़ुद को मैं वागीश करूँ#