निगाह-ए- नाज़ हो,कोई अगम स्थिति ना हो, खामोश लबों से बातों का संगम हो, अश्कों का बहना, मधुर मिलन हो, अग्रगण्य सिर्फ भावनाएं हो, हर्षोन्माद के कारण मूर्छित ना हो जाए हम, हुस्न और इश्क का जब रूहानी आमना सामना हो। 🎀 Challenge-454 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। 🎀 रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 🎀 अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।