Nojoto: Largest Storytelling Platform

पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह

पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के नाम तो वो भी गजब थे,
आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी,
पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब,
आया सावन  बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव
बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन,
पीछे छूट गया मेरा प्यारा बचपन ,
आ गई नये जमाने मे,सच पूछो तो दुनिया के फसाने में,
आज भी याद आते है बीते बचपन के किस्से दीवाने से,
अब तो बस जिंदगी जी रहे हैं या बोले कि बस जी ही रहे हैं,
कोई सुख का राग अलाप रहे हैं तो कोई दुख का राग अलाप रहे हैं,
पहले बचपन फिर लड़कपन जवानी ले गया,
वक़्त जालिम हमारी जिंदगानी ले गया,
हमे ऐसे सफर पर छोड़ गया,
न मुड़कर मेरा लड़कपन आया,
जहाँ न मुझे मिला किसी मोड़ पर मेरा सुहाना बचपन,
उसमे जीवन की यादे थी  अधिकतम,
आँखों मे लिए आँसू अब दिल जिंदगी से करता गुहार,
लौटा दो कोई अल्हड़ लड़कपन,
लौटा दो कोई आवारा बचपन,
Part-2 पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के नाम तो वो भी गजब थे,
आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी,
पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब,
आया सावन  बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव
बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन,
पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के नाम तो वो भी गजब थे,
आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी,
पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब,
आया सावन  बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव
बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन,
पीछे छूट गया मेरा प्यारा बचपन ,
आ गई नये जमाने मे,सच पूछो तो दुनिया के फसाने में,
आज भी याद आते है बीते बचपन के किस्से दीवाने से,
अब तो बस जिंदगी जी रहे हैं या बोले कि बस जी ही रहे हैं,
कोई सुख का राग अलाप रहे हैं तो कोई दुख का राग अलाप रहे हैं,
पहले बचपन फिर लड़कपन जवानी ले गया,
वक़्त जालिम हमारी जिंदगानी ले गया,
हमे ऐसे सफर पर छोड़ गया,
न मुड़कर मेरा लड़कपन आया,
जहाँ न मुझे मिला किसी मोड़ पर मेरा सुहाना बचपन,
उसमे जीवन की यादे थी  अधिकतम,
आँखों मे लिए आँसू अब दिल जिंदगी से करता गुहार,
लौटा दो कोई अल्हड़ लड़कपन,
लौटा दो कोई आवारा बचपन,
Part-2 पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के नाम तो वो भी गजब थे,
आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी,
पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब,
आया सावन  बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव
बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन,

पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना, बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी, ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती, खेलों के नाम तो वो भी गजब थे, आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी, पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब, आया सावन बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन, #बचपन #yqbaba #yqdidi #hkkhindipoetry #अभिव्यक्ति_challange