पूरे दिन खेल के साथ बिताना,गुड्डे,गुड़ियों का ब्याह रचना,
बन बाराती ,डोल नगाड़े ले जाते थे घोड़े हाथी,
ऐसे ही था पूरा दिन मैं बिताती,
खेलों के नाम तो वो भी गजब थे,
आँख मिचौली ,ऊंच नीच का पहाड़,बर्फ पानी,सुनते थे परियों की कहानी,
पंचतंत्र और चंपक की किताब, चाचा चौधरी के मूंछें थी वाकई नवाब,
आया सावन बारिश की आई बहार, हम रज के नहाते थे और चलाते थे कागज की नाव
बस ऐसा ही खूबसूरत था ये लड़कपन, #बचपन#yqbaba#yqdidi#hkkhindipoetry#अभिव्यक्ति_challange