सीने में दर्द तेरा छुपाता रहा... मगर झोके से ख्याल तेरा आता रहा है... पुर्णमाषी की चाँद सा तेरा शबाब,, ख्याल में बादलों को मैं छुपाता रहा... चिलमन से बुनते रहे तुम,, मन्नतों में तुम्हें, मैं मांगता रहा... जब दीदार -ऎ -तिश्नगी बढ़ी,, स्वप्न में साये को मिलाता रहा... तुमने तो सदा कांटे बिछाए थे राह में,, राही मैं, हमेशा नया फूल खिलाता रहा... तेरे सितम भी दीदार -ऎ -चाँद लागे,, इसी कश्मकस में, संगदिल हर सितम सहता रहा... नगमें वो मोहब्बत के,, गुजरे जमाने हो गए,, मेरी आशिकी गीत अब तक वही गाता रहा... गैरों से थे, अपनों में,, दिल -ऎ -आशिकी में क्या -क्या खोता रहा... रब से है अपना राब्ता,, दुवाओं से सदा तेरी खुशीयाँ मांगता रहा... बड़े नाकिस्म सी हवा चली है इश्क के आसमां में,, उसने आगाह किया था,, हंस के मैं टालता रहा.. तिनके सा बिखर जाने तक शख्सियत नहीं अपनी,, ठोकर जब -जब लगा अक्ल भी आता रहा... आना कभी, सब है यहां,, भुली बिसरी यादें,, तू हर दौर भुलाता रहा,, मैं हर दर्द संजोता रहा.. 👁sanjeet kumar👁 #NojotoQuote सीने में दर्द तेरा छुपाता रहा... मगर झोके से ख्याल तेरा आता रहा है... पुर्णमाषी की चाँद सा तेरा शबाब,, ख्याल में बादलों को मैं छुपाता रहा...