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#आखिर क्यों???? आखिर क्यों बरसों साथ रहकर भी हम ए

#आखिर क्यों????

आखिर क्यों बरसों साथ रहकर भी
हम एक दूसरे को समझ नहीं पाते
कहीं क्यों और दिल के रिश्ते निभाते
क्यों खोजते है सुकून गैरों में
क्यों अपनो के लिए नही झुक पाते

खुद की अकड़ खुद का इगो
क्या इतना हावी हो जाता 
बस मैं ही हूं सही का अलार्म
दिन भर बस  बजे ही जाता 

एक खूबसूरत सा रिश्ता जुड़ा था
रूह से रूह का मिलन था
तो क्यों कुछ लड़ कर,झगड़कर
 कुछ खामोशी से बिता देते है
दर्द खुद भी लेते है ,उसे भी दर्द पहुंचते हैं

गर कुछ झुक गए होते
बैठ कर बात किए होते
सिर्फ जिस्म से ही नहीं
 दिल से रिश्ते बने होते
तो इन सोशल साइट पर
फ्रेंड रिक्वेस्ट के अंबार ना लगे होते
       नूतन  की  कलम  से......

©deepak jain
  #Women