क्या इल्जाम लगावू तुझपे, तू भी तो मजबुर है। कैसे सभालु इस दिल को, जीसपे बस तेरी मोहब्बत का, फितूर है। बस अब लूट जाणे दे हमे तुझपे, बेफनाह तुझसे मोहब्बत कर। राहो मे तेरी नजरे लगाए बैठे है, बस एक गुजारीश है तुझसे। मौत से पहले, एक बार तो मुझे कबुल कर।