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तीज़ में माँ अपने लिए साड़ी ख़रीदने के बजाय उन पैसों

तीज़ में माँ अपने लिए
साड़ी ख़रीदने के बजाय
उन पैसों से घर का राशन ले आती थी,
पापा से हमेशा कह देती कि नई साड़ी है बक्से में
पापा जानते थे, "झूठ केह रही है"
लेक़िन जेब मान लेता था, "सच्च ही केह रही होगी"
और फ़िर तीज़ के दिन माँ हर साल
अपनी शादी वाली लाल साड़ी पहन लिया करती थी
और पापा हर बार माँ से पूछते थे, "ये कब ख़रीदी" #ankit_srivastava_thoughts 
#yq_ankit_srivastava 
#तीज #माँ #पापा  #माँ_मेरी_दुनिया #yqhindi #yqdidi
तीज़ में माँ अपने लिए
साड़ी ख़रीदने के बजाय
उन पैसों से घर का राशन ले आती थी,
पापा से हमेशा कह देती कि नई साड़ी है बक्से में
पापा जानते थे, "झूठ केह रही है"
लेक़िन जेब मान लेता था, "सच्च ही केह रही होगी"
और फ़िर तीज़ के दिन माँ हर साल
अपनी शादी वाली लाल साड़ी पहन लिया करती थी
और पापा हर बार माँ से पूछते थे, "ये कब ख़रीदी" #ankit_srivastava_thoughts 
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