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तृप्ति रचित जय भोले क्षणभंगुर संसार है ओ३म् ही सच्

तृप्ति रचित
जय भोले
क्षणभंगुर संसार है ओ३म् ही सच्चा सार।
आत्मज्ञान जब हो गया तब खुले मुक्ति का द्वार।
खुले मुक्ति का द्वार मन का अंधकार मिट जाए -
जीवन यापन सरल हो और  सुखद मिले आधार।

©tripti agnihotri
  जय भोले

जय भोले #कविता

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