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शाख पर फूल,फ़लक पर कोई तारा भी नहीं तुम भी तन्हा

 शाख पर फूल,फ़लक पर कोई  तारा भी नहीं
तुम भी  तन्हा हो बहुत,कोई  हमारा  भी नहीं

एक तो मुड़ के न जाने की अज़ीय्यत थी बहुत
और  उसपर ये  सितम  कोई पुकारा  भी नहीं

©Mehfil-e-Mohabbat
  ✍️♥️ अब्बास ताबिश ♥️✍️

✍️♥️ अब्बास ताबिश ♥️✍️ #शायरी

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