रोज़-ओ-शब फीके-फीके, बाम-ओ-दर तन्हा-तन्हा सब कुछ सूना-सूना सा सारा घर तन्हा-तन्हा ना कोई आहट-सदा और ना चहक परिंदों की हो घने जंगल में जैसे एक शजर तन्हा-तन्हा जाने किसकी दीद में न जाने किसकी याद में रोता रहा कोई सारी शब टूट कर तन्हा-तन्हा बिन तेरे बे-नूर है सब, ज़िन्दगी बे-रंग है कटेगा कैसे बिन तेरे ये सफर तन्हा-तन्हा?? (अदनान सिद्दीकी)