Nojoto: Largest Storytelling Platform

"राजपूत" ( अतीत के झरोखे से ) 'राजपूत' अश्व और अस

"राजपूत" ( अतीत के झरोखे से )

'राजपूत' अश्व और अस्त्र की पूजा करते हैं।
मुसलमानों से युद्ध करते समय उन्होंने महाभारत काल के क्षत्रियों के सिद्धांत व नैतिक आचरण अपनाए।वैदिक सभ्यता को बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाते रहे।श्री सी.एम वैद्य व श्री ओझा जी ने राजपूतों को वैदिक आर्यों की सन्तान और भारतीय माना है।
'पृथ्वीराज रासो' में कवि चन्द्रवरदाई ने लिखा है कि विश्वामित्र, गौतम,अगस्त्य तथा अन्य ऋषिगण आबू पर्वत पर एक धार्मिक अनुष्ठान कर रहे थे तो दैत्य आकर उनकी यज्ञ में विघ्न डालने लगे।उन दैत्यों को ख़त्म करने के लिए वशिष्ठ मुनि ने यज्ञ से तीन योद्धा उत्पन्न किये - 1.परमार 2. चालुक्य 3. प्रतिहार।
किन्तु जब तीनों का बल कम पड़ा तो चौथा योद्धा 'चौहान' उत्पन्न किया गया तब उसने आशापुरी को अपनी देवी मानकर दैत्यों को मार भगाया। परवर्ती चारण और भाटों ने तो इस उत्पत्ति को सत्य मानकर अपने ग्रंथों में दुहराया है किन्तु इतिहास का कोई भी विद्यार्थी यह मानने को तैयार नहीं होता कि अग्निकुण्ड से मनुष्य रूपी योद्धा पैदा किये जा सकते हैं। श्री जगदीश सिंह गहलोत कहते हैं कि यह - 'पृथ्वीराज रासो' के रचयिता के दिमाग़ की उपज है। अग्निवंशी कोई स्वतंत्र वंश नहीं माना जा सकता।
पाश्चात्य विद्वान विलियम क्रुक ने लिखा है कि- अग्निकुण्ड से तात्पर्य अग्नि द्वारा शुद्धि से है।
:
अग्निकुण्ड से उत्पत्ति वाली बात आज के युग में निर्मूल सी है।इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
:
कुछ विद्वानों का मानना है कि 'क्षत्रियों' की उत्पत्ति ब्राह्मणों से हुई सर्वप्रथम डॉ.भण्डारकर ने राजपूतों की उत्पत्ति किसी विदेशी ब्राह्मण से बताई उसके बाद तो अनेक विद्वान इसे ही सच साबित करने में लगे रहे।
"जोधपुर" के 'प्रतिहार' ब्राह्मण वंश के थे।इनके पूर्वज ब्राह्मण हरिश्चंद्र तथा उनकी पत्नी मादरा की सन्तान थे।
"आबू" के प्रतिहार वशिष्ठ ऋषि की सन्तान थे।
"राजपूत" ( अतीत के झरोखे से )

'राजपूत' अश्व और अस्त्र की पूजा करते हैं।
मुसलमानों से युद्ध करते समय उन्होंने महाभारत काल के क्षत्रियों के सिद्धांत व नैतिक आचरण अपनाए।वैदिक सभ्यता को बचाने के लिए अपने प्राणों की बाजी लगाते रहे।श्री सी.एम वैद्य व श्री ओझा जी ने राजपूतों को वैदिक आर्यों की सन्तान और भारतीय माना है।
'पृथ्वीराज रासो' में कवि चन्द्रवरदाई ने लिखा है कि विश्वामित्र, गौतम,अगस्त्य तथा अन्य ऋषिगण आबू पर्वत पर एक धार्मिक अनुष्ठान कर रहे थे तो दैत्य आकर उनकी यज्ञ में विघ्न डालने लगे।उन दैत्यों को ख़त्म करने के लिए वशिष्ठ मुनि ने यज्ञ से तीन योद्धा उत्पन्न किये - 1.परमार 2. चालुक्य 3. प्रतिहार।
किन्तु जब तीनों का बल कम पड़ा तो चौथा योद्धा 'चौहान' उत्पन्न किया गया तब उसने आशापुरी को अपनी देवी मानकर दैत्यों को मार भगाया। परवर्ती चारण और भाटों ने तो इस उत्पत्ति को सत्य मानकर अपने ग्रंथों में दुहराया है किन्तु इतिहास का कोई भी विद्यार्थी यह मानने को तैयार नहीं होता कि अग्निकुण्ड से मनुष्य रूपी योद्धा पैदा किये जा सकते हैं। श्री जगदीश सिंह गहलोत कहते हैं कि यह - 'पृथ्वीराज रासो' के रचयिता के दिमाग़ की उपज है। अग्निवंशी कोई स्वतंत्र वंश नहीं माना जा सकता।
पाश्चात्य विद्वान विलियम क्रुक ने लिखा है कि- अग्निकुण्ड से तात्पर्य अग्नि द्वारा शुद्धि से है।
:
अग्निकुण्ड से उत्पत्ति वाली बात आज के युग में निर्मूल सी है।इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता।
:
कुछ विद्वानों का मानना है कि 'क्षत्रियों' की उत्पत्ति ब्राह्मणों से हुई सर्वप्रथम डॉ.भण्डारकर ने राजपूतों की उत्पत्ति किसी विदेशी ब्राह्मण से बताई उसके बाद तो अनेक विद्वान इसे ही सच साबित करने में लगे रहे।
"जोधपुर" के 'प्रतिहार' ब्राह्मण वंश के थे।इनके पूर्वज ब्राह्मण हरिश्चंद्र तथा उनकी पत्नी मादरा की सन्तान थे।
"आबू" के प्रतिहार वशिष्ठ ऋषि की सन्तान थे।

परवर्ती चारण और भाटों ने तो इस उत्पत्ति को सत्य मानकर अपने ग्रंथों में दुहराया है किन्तु इतिहास का कोई भी विद्यार्थी यह मानने को तैयार नहीं होता कि अग्निकुण्ड से मनुष्य रूपी योद्धा पैदा किये जा सकते हैं। श्री जगदीश सिंह गहलोत कहते हैं कि यह - 'पृथ्वीराज रासो' के रचयिता के दिमाग़ की उपज है। अग्निवंशी कोई स्वतंत्र वंश नहीं माना जा सकता। पाश्चात्य विद्वान विलियम क्रुक ने लिखा है कि- अग्निकुण्ड से तात्पर्य अग्नि द्वारा शुद्धि से है। : अग्निकुण्ड से उत्पत्ति वाली बात आज के युग में निर्मूल सी है।इसलिए इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। : कुछ विद्वानों का मानना है कि 'क्षत्रियों' की उत्पत्ति ब्राह्मणों से हुई सर्वप्रथम डॉ.भण्डारकर ने राजपूतों की उत्पत्ति किसी विदेशी ब्राह्मण से बताई उसके बाद तो अनेक विद्वान इसे ही सच साबित करने में लगे रहे। "जोधपुर" के 'प्रतिहार' ब्राह्मण वंश के थे।इनके पूर्वज ब्राह्मण हरिश्चंद्र तथा उनकी पत्नी मादरा की सन्तान थे। "आबू" के प्रतिहार वशिष्ठ ऋषि की सन्तान थे। #yqbaba #yqdidi #yqtales #yqhindi #पाठकपुराण #राजस्थान_के_इतिहास_की_झलकियाँ_1