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लरजते लरजते नजर झुक गई हैं उसकी आंखे के शीशे की का

लरजते लरजते नजर झुक गई हैं
उसकी आंखे के शीशे की कारीगरी है 
हुस्न है जैसे नीले जल में कंवल हो
राम पे आज सब की नजर रुक गईं है

चेहरे पे लटके काकुल बेसबब से
उड़े बेजह के हवा बह रही है
लबों पे गुलाबों के रंग सारे बिखरे
सिया देख कर गुमसुम हो गई है

रखने से उसके कदम बियाबां में 
खिजां भी शादाबी शादाबी हुई है
कोई कब तलक खुद को रोके रहे यूं
भरता नहीं जी क्या जादूगरी है
राजीव

©samandar Speaks
  #DiyaSalaai  Manish Sharma Mukesh Poonia bewakoof Gautam Kumar Radhey Ray  Manish Sharma Mukesh Poonia bewakoof Gautam Kumar Radhey Ray