जिसके लिए भी सोचा सही, खुद गलत हो गया, था सच्चा, खुद झूठा हो गया, कैसा ये खेल है, समझ ना पाया, अपने इस पागलपन में, गलत न होते हुए भी, गलत सा हो गया, किसी को कुछ पता भी न चला कब महफ़िल-ऐ-फुर्सत में, अकेला हो गया।। #secondquote #loneliness #together #chirag_kashyap #love