Nojoto: Largest Storytelling Platform

बिना आग के सब धुआँ हो गये हैं। ज़रा सा भी जो बदगुम

बिना आग के सब धुआँ हो गये हैं।
ज़रा सा भी जो बदगुमाँ हो गये हैं। 
रहा  ना  ज़माने  में नामोनिशाँ भी-
गये जो वो राज़-ए-निहाँ हो गये हैं।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #धुआँ
बिना आग के सब धुआँ हो गये हैं।
ज़रा सा भी जो बदगुमाँ हो गये हैं। 
रहा  ना  ज़माने  में नामोनिशाँ भी-
गये जो वो राज़-ए-निहाँ हो गये हैं।

रिपुदमन झा 'पिनाकी'
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

©Ripudaman Jha Pinaki #धुआँ