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तुम्हारी प्रीत को हमने सुनो कविता बनाया है

तुम्हारी  प्रीत  को  हमने  सुनो  कविता  बनाया  है ।
हमारी  आँख  मत  देखो  वहाँ  सरिता  छुपाया  है ।
करूँ अब  प्रीत की  बातें  बताओ मैं  यहाँ किससे-
उसी  के  वास्ते   हमने   हृदय  वनिता  बसाया  है  ।।

     ०५/०४/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुम्हारी  प्रीत  को  हमने  सुनो  कविता  बनाया  है ।
हमारी  आँख  मत  देखो  वहाँ  सरिता  छुपाया  है ।
करूँ अब  प्रीत की  बातें  बताओ मैं  यहाँ किससे-
उसी  के  वास्ते   हमने   हृदय  वनिता  बसाया  है  ।।

     ०५/०४/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर
तुम्हारी  प्रीत  को  हमने  सुनो  कविता  बनाया  है ।
हमारी  आँख  मत  देखो  वहाँ  सरिता  छुपाया  है ।
करूँ अब  प्रीत की  बातें  बताओ मैं  यहाँ किससे-
उसी  के  वास्ते   हमने   हृदय  वनिता  बसाया  है  ।।

     ०५/०४/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR तुम्हारी  प्रीत  को  हमने  सुनो  कविता  बनाया  है ।
हमारी  आँख  मत  देखो  वहाँ  सरिता  छुपाया  है ।
करूँ अब  प्रीत की  बातें  बताओ मैं  यहाँ किससे-
उसी  के  वास्ते   हमने   हृदय  वनिता  बसाया  है  ।।

     ०५/०४/२०२३     -    महेन्द्र सिंह प्रखर