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नारी शक्ति विश्व ही नहीं, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का भे

नारी शक्ति विश्व ही नहीं, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का भेष बदल दिया है,
आदिकाल  से  आधुनिक  काल  तक, परिवेश  बदल दिया  है।

नारी  से  ही  अस्तित्व है  सृष्टि की, नारी ही  शक्ति कहलाती है,
नारी के रूप अनेक माता,भगिनी,सुता,अर्द्धांगिनी बन जाती है।

आधुनिक परिवेश में असंभव नहीं, जो नारी नहीं कर सकती है,
नारी शक्ति नहीं  महाशक्ति है, जो अंतरिक्ष तक उड़ान भरती है।

नारी दुर्गा  सरस्वती  लक्ष्मी  काली, नारी आदिशक्ति की रूप है,
नारी की ममता  शीतल छाया है, तो क्रोध  चिलचिलाती धूप है।

नारी धरती  आकाश  अंतरिक्ष है, नारी घुमती पृथ्वी की धूरी है,
नारी के  बिना  इस  सम्पूर्ण   सृष्टि  की, कल्पना  भी  अधुरी है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫प्रतिस्पर्धा में भाग लें  "मेरी रचना✍️ मेरे विचार"🙇 के साथ..

🥇"मेरी रचना मेरे विचार" आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  का  प्रतियोगिता:-०५ में हार्दिक स्वागत करता है..💐🙏🙏💐

🥈आप सभी ८ से १० पंक्तियों में अपनी रचना लिखें।  विजेता का चयन हमारे चयनकर्ताओं द्वारा नियम एवं शर्तों के अनुसार  किया जाएगा।
नारी शक्ति विश्व ही नहीं, सम्पूर्ण ब्रह्मांड का भेष बदल दिया है,
आदिकाल  से  आधुनिक  काल  तक, परिवेश  बदल दिया  है।

नारी  से  ही  अस्तित्व है  सृष्टि की, नारी ही  शक्ति कहलाती है,
नारी के रूप अनेक माता,भगिनी,सुता,अर्द्धांगिनी बन जाती है।

आधुनिक परिवेश में असंभव नहीं, जो नारी नहीं कर सकती है,
नारी शक्ति नहीं  महाशक्ति है, जो अंतरिक्ष तक उड़ान भरती है।

नारी दुर्गा  सरस्वती  लक्ष्मी  काली, नारी आदिशक्ति की रूप है,
नारी की ममता  शीतल छाया है, तो क्रोध  चिलचिलाती धूप है।

नारी धरती  आकाश  अंतरिक्ष है, नारी घुमती पृथ्वी की धूरी है,
नारी के  बिना  इस  सम्पूर्ण   सृष्टि  की, कल्पना  भी  अधुरी है। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

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