#OpenPoetry हमारी जिंदगी नायाब , हो जाये, जो तुम आओ । ताक से दूर ये गिरदाब, हो जाए, जो तुम आओ ।। अकेलापन बहुत रोता , सिसकता है तसव्वुर में । बज़्म में आज वो बरबाद ,हो जाये ,जो तुम आओ ।। sultan mohit bajpai---- #अकेलापन नायाब -दुर्लभ ,असाधारण, दुष्प्राप्य ताक-लक्ष्य ,मंजिल गिरदाब-भवँर ,उलझन तसव्वुर- कल्पना ,जागते-जागते ख़्वाब #openpoetry