आसमान ओर जमीन में कभी असीम प्रेम रहा होगा संसार को उनका प्रेम मान्य नही हुआ होगा इसीलिये शायद उनमें बेहद दूरियां हुई होगी समर के ऋतु में जमीन तपती है सूरज के ताप से उसकी पीड़ा में जलते है असंख्य पेड़ और मनुष्य , पशु ,पक्षी परंतु आसमान को जमीन से असीम प्रेम है इसलिये आता है वर्षा ऋतु आसमान जमीन से मिलने आ नहीं सकता इसीलिये बनकर बरखा बूंदों से छूता है जमीन के अंतरमन को ओर तुर्प्त कर देता है जमीन को अपने असीम प्रेम से जिस तरह से अपने प्रेयसी का दुपट्टा ठंडी छाँव देता है अपने प्रेमी को बिल्कुल उसी तरह आसमान बनकर बादल छुटे है ऊंचे पहाड़ों को जमीन आसमान के प्रेम पूरी तरह विलयमान हो जाती है तो वो अपना प्रेम बहा देती है नदियों में , नदिया उस प्रेम में गोते लगती हुई जा मिलती है साग़र से उसी तरह जैसे बरसो के बिछड़े प्रेमी मिलते हो #sagar✍️ #sagaroza #sagarozashayari #sagarshayari #Nature