मैंने कुछ अनछुवे रागो को आज छेड़ दिया... बेजुबान से थे वो तार, जिनको आज मैने छेड़ दिया... राग अब वो ही सुनाएगा... बेखबर रहा था तेरी महफिल से.. बरसो से अनजान था वो फ़कीर तेरी शान- ओ - शौकत से...! उस फ़कीर को मैने आज तेरी महफ़िल का रंग चढ़ा दिया....! वो सुनाएगा अब अपनी धुन नई .. मैने तेरी महफिल का सारा राग उसे सुना दिया.....! #abhay