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बस्तियां कई बसाई हमने क्या तरक्की कर ली है ! आज भी

बस्तियां कई बसाई हमने क्या तरक्की कर ली है !
आज भी बच्चे रोते हैं भूख से !!
अंधेरों से निकाली है वर्षों बाद धूल से सनी किताब!
धूल झड़ने लगी है एक हल्की सी फूंक से !!
दुनिया कैसी दिखती है हमें ये कोई हकीम न बताए !
एक चूक कर दी है इन नजरों ने चूक से !! 
उठ खड़ा हो अपने पुरखों के निशान को कुछ आगे बढ़ा !
कंकरो को फटक दे घर के पुराने सूप से !!

©Sarvesh Rockstar 
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