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अनुशीर्षक पढ़ें....... भारत जो कुछ भी आज है वह पूर

अनुशीर्षक पढ़ें....... भारत जो कुछ भी आज है वह पूर्वजों के बलिदानों का एक सकारात्मक परिणाम है।
किंतु भारत के गद्दारों ने पूर्वजों के बलिदान को व्यर्थ
करने का जो दुस्साहस किया है उसका लक्ष्य देश का* *विध्वंस करना है किंतु भारत के नव युवा  भारत को किसी भी प्रकार के विभाजन से दूर रखें ऐसी नवयुग में हमारी आशा है।
देश के भीतर किसी भी विभाजनकारी शक्ति एवं विचार  को भी पनपने ना दिया जाए ।
ऐसा विचार कर भारत को उन्नति के पथ पर अग्रसर करना भारत के नवयुवाओं का परम दायित्व है।


© प्रियांशी भट्ट
अनुशीर्षक पढ़ें....... भारत जो कुछ भी आज है वह पूर्वजों के बलिदानों का एक सकारात्मक परिणाम है।
किंतु भारत के गद्दारों ने पूर्वजों के बलिदान को व्यर्थ
करने का जो दुस्साहस किया है उसका लक्ष्य देश का* *विध्वंस करना है किंतु भारत के नव युवा  भारत को किसी भी प्रकार के विभाजन से दूर रखें ऐसी नवयुग में हमारी आशा है।
देश के भीतर किसी भी विभाजनकारी शक्ति एवं विचार  को भी पनपने ना दिया जाए ।
ऐसा विचार कर भारत को उन्नति के पथ पर अग्रसर करना भारत के नवयुवाओं का परम दायित्व है।


© प्रियांशी भट्ट

भारत जो कुछ भी आज है वह पूर्वजों के बलिदानों का एक सकारात्मक परिणाम है। किंतु भारत के गद्दारों ने पूर्वजों के बलिदान को व्यर्थ करने का जो दुस्साहस किया है उसका लक्ष्य देश का* *विध्वंस करना है किंतु भारत के नव युवा भारत को किसी भी प्रकार के विभाजन से दूर रखें ऐसी नवयुग में हमारी आशा है। देश के भीतर किसी भी विभाजनकारी शक्ति एवं विचार को भी पनपने ना दिया जाए । ऐसा विचार कर भारत को उन्नति के पथ पर अग्रसर करना भारत के नवयुवाओं का परम दायित्व है। © प्रियांशी भट्ट