ये रात नई रोशनी की एक आस लिए बैठी है दीये में सुखी पड़ी बत्ती सभी, तेल की प्यास लिए बैठी है मगर फिर भी माफ करना हमको राम लल्ला तुम्हारे मंदिर की सियासत अब भी वनवास लिए बैठी है - गौरव कमलामणी ये रात नई रोशनी की एक आस लिए बैठी है दीये में सुखी पड़ी बत्ती सभी, तेल की प्यास लिए बैठी है मगर फिर भी माफ करना हमको राम लल्ला तुम्हारे मंदिर की सियासत अब भी वनवास लिए बैठी है - गौरव कमलामणी #happydiwali #diwali #festival #lights #rammandir #jaishreeram