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अब दिल को मेरे, कुछ भाता नहीं । लोग हैं हज़ार, मग

अब दिल को मेरे, कुछ भाता नहीं । 
लोग हैं हज़ार, मगर कोई अपनाता नहीं ।। 

कौन समझे अब हाल-ए-दिल हमारा ये । 
सुनता है हर कोई, मगर कोई समझता नहीं ।। 

अकेला हूं मैं यहाँ, काफी लंबे अरसे से ।
काफी लंबे अरसे से, यहाँ कुछ ठीक भी नहीं ।। 

हमसे बिछड़ कर शायद वो खुश हैं बहुत । 
उनके बाद हालात ये, कुछ ठीक भी नहीं ।। 

करते हैं लोग अब, बातें उनके लौट आने की । 
मुझे उनके आने की, अब कोई उमीद ही नहीं ।। 

लौट आए अगर फिर भी वो, तो उनसे कहना । 
मर गया वो, जो तुम्हारा कभी था ही नहीं ।। 

और हाँ ! "जय" बुरा हैं बहुत मेरी जाना । 
होता नहीं नाम,अगर वो तुम पर लिखता नहीं ।।

©Jayesh gulati लौट आए अगर फिर भी वो, तो उनसे कहना । 
मर गया वो, जो तुम्हारा कभी था ही नहीं ।। 
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अब दिल को मेरे, कुछ भाता नहीं । 
लोग हैं हज़ार, मगर कोई अपनाता नहीं ।। 

कौन समझे अब हाल-ए-दिल हमारा ये । 
सुनता है हर कोई, मगर कोई समझता नहीं ।। 

अकेला हूं मैं यहाँ, काफी लंबे अरसे से ।
काफी लंबे अरसे से, यहाँ कुछ ठीक भी नहीं ।। 

हमसे बिछड़ कर शायद वो खुश हैं बहुत । 
उनके बाद हालात ये, कुछ ठीक भी नहीं ।। 

करते हैं लोग अब, बातें उनके लौट आने की । 
मुझे उनके आने की, अब कोई उमीद ही नहीं ।। 

लौट आए अगर फिर भी वो, तो उनसे कहना । 
मर गया वो, जो तुम्हारा कभी था ही नहीं ।। 

और हाँ ! "जय" बुरा हैं बहुत मेरी जाना । 
होता नहीं नाम,अगर वो तुम पर लिखता नहीं ।।

©Jayesh gulati लौट आए अगर फिर भी वो, तो उनसे कहना । 
मर गया वो, जो तुम्हारा कभी था ही नहीं ।। 
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